शुक्रवार, 29 मई 2020

Best Bhojpuri Kahawat|Dohe|kavita|Shayari| Bhojpuri in hindi

Best  Bhojpuri Kahawat|Dohe|kavita|Shayari in Bhojpuri

Best 30 + Bhojpuri kahawate or unke अर्थ 

1. दाल-भात के कवर– बहुत आसन होना
2. होता घीवढारी आ सराध के मंतर– विपरीत काम करना
3. ससुर के परान जाए पतोह करे काजर– निष्ठुर होना
4. बिलइया के नजर मुसवे पर– लक्ष्य पर ध्यान होना
5. लूर-लुपुत बाई मुअले प जाई– आदत से लाचार
6. हड़बड़ी के बिआह, कनपटीये सेनुर– हड़बड़ी का काम गड़बड़ी में
7. बनला के सभे इयार, बिगड़ला के केहू ना– समय का फेर
8. राजा के मोतिये के दुःख बाऽ– सक्षम को क्या दुःख
9. रोवे के रहनी अंखिये खोदा गइल– बहाना मिल जाना
10. बुढ़ सुगा पोस ना मानेला– पुराने को नयी सीख नहीं दी जा सकती

11. कानी बिना रहलो न जाये, कानी के देख के अंखियो पेराए– प्यार में तकरार
12. अक्किल गईल घास चरे- सोच-विचार न कर पाना
13. घर फूटे जवार लूटे– दुसरे का फायदा उठाना
14. ना खेलब ना खेले देब, खेलवे बिगाड़ब– किसी को आगे न बढ़ने देना
15. मंगनी के बैल के दांत ना गिनाये– मुफ्त में मिली वस्तु की तुलना नहीं की जाती
16. ना नौ मन तेल होई ना राधा नचिहें– न साधन उपलब्ध होगा, न कार्य होगा
17. एक मुट्ठी लाई, बरखा ओनिये बिलाई– थोड़ी मात्रा में
18. हथिया-हथिया कइलन गदहो ना ले अइलन– नाम बड़े दर्शन छोटे
19. चउबे गइलन छब्बे बने दूबे बन के अइलन– फायदे के लालच में नुकसान करना
20. राम मिलावे जोड़ी एगो आन्हर एगो कोढ़ी– एक जैसा मेल करना

Bhojpuri Lokokti or unke Arth

21. आन्हर कुकुर बतासे भोंके– बिना ज्ञान के बात करना
22. बईठल बनिया का करे, एह कोठी के धान ओह कोठी धरे– बिना मतलब का काम करना
23. घर के जोगी जोगड़ा, आन गाँव के सिद्ध– घर की मुर्गी दाल बराबर
24. भूखे भजन ना होइहें गोपाला, लेलीं आपन कंठी-माला– खाली पेट काम नहीं होता
25. ना नीमन गीतिया गाइब, ना मड़वा में जाइब– ना अच्छा काम करेंगे ना पूछ होगी
26. लाद दऽ लदवा दऽ, घरे ले पहुँचवा दऽ– बढ़ता लालच
27. पड़लें राम कुकुर के पाले– कुसंगति में पड़ना
28. अंडा सिखावे बच्चा के, बच्चा करु चेंव-चेंव– अज्ञानी का ज्ञानी को सिखाना
29. लात के देवता बात से ना माने– आदत से लाचार
30. जे ना देखन अठन्नी-चवन्नी उ देखल रूपइया– सौभाग्यशाली
31. भोला गइलें टोला प, खेत भइल बटोहिया, भोला बो के लइका भइल ले गइल सिपहिया– ना घर का ना घाट का

Bhojpuri Kahawato ke Arth Or Anuvad 

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Bhojpuri Dohe in bhojpuri
ये Bhojpuri Kahawate जो विशेष रूप से  अधिकतर देवरियाई  की  जनता और उसके आसपास  की जनता के समक्ष या जनता द्वारा और कई तरह की कहावते जो  बोली  जाती है । कहावतों के अनुवाद और अर्थ दिए गये है 

1. रो रो खाई,धो धो जाई।
अनुवाद- रो-रो खाएगा, धो-धो जाएगा।
अर्थ- भोजन सदा प्रसन्न मन से करना चाहिए। अप्रसन्न मन से किया हुआ भोजन शरीर को लाभ नहीं पहुँचाता।

2. भगवान के भाई भइल बारअ।
अनुवाद- भगवान के भाई बने हैं।
अर्थ- जब कोई काम करने में टालमटोल करता है या कहता है कि बाद में करूँगा तो कहा
जाता है। तात्पर्य यह है कि कोई भी काम कल पर नहीं टालना चाहिए।

3. भइंस पानी में हगी त उतरइबे करी।
अनुवाद- भैंस पानी में हगेगी तो (गोबर) ऊपर आएगा ही।
अर्थ- छिपी हुई बात प्रकट हो जाती है। सच्चाई छिप नहीं सकती, बनावट के वसूलों से।

4. सोने के कुदारी माटी कोड़े के हअ।
अनुवाद- सोने की कुदाल माटी कोड़ने के लिए है।
अर्थ- सबको अपनी योग्यतानुसार कार्य करना ही अच्छा होता है।

5.जे गुड़ खाई उ कान छेदाई।
अनुवाद- जो गुड़ खाएगा वो कान छेदाएगा।
अर्थ- गलत काम का परिणाम भी गलत होता है।

6.कमजोर देही में बहुत रीसि होला।
अनुवाद- कमजोर शरीर में बहुत गुस्सा होता है।
अर्थ- कमजोर व्यक्ति को बात-बात पर गुस्सा आता है।

7.बिन घरनी,घर भूत के डेरा।
अनुवाद- बिन औरत, घर भूत के डेरा।
अर्थ- औरत से ही घर,घर लगता है।

8.मानS तS देव नाहीं तS पत्थर।
अनुवाद- मानिए तो देव नहीं तो पत्थर।
अर्थ- विश्वास ही सर्वोपरी है।

9.की हंसा मोती चुने,की भूखे मर जाय।
अनुवाद- कि हंस मोती चुगे,कि भूखे मर जाए।
अर्थ- शेर जब भी खाएगा मांस ही खाएगा। कहने का तात्पर्य यह है कि कुछ व्यक्ति परेशानी उठा लेंगे लेकिन अपने वसूल यानि मान-मर्यादा के खिलाफ नहीं जाएँगे।

10.सब धान बाइसे पसेरी।
अनुवाद- सब धान बाइस ही पसेरी। (पसेरी एक तौल है जो लगभग पाँच किलो के बराबर माना जाता है)

अर्थ- सब एक जैसे। (व्यंग्य में कहा जाता है- एक जैसे गलत लोगों के लिए। जैसे- अगर आप के तीन-चार लड़के हैं और सब कुपात्र ही हैं तो आप अपने बच्चों के लिए कह सकते हैं- सब धान बाइसे पसेरी। )

11.दादा कहने सरसउवे लदीहS।
अनुवाद- दादा कहे सरसों ही लादना (यानि सरसों का ही व्यापार करना)
अर्थ- लकीर के फकीर।

12.सइंया भये कोतवाल,अब डर काहे का।
अनुवाद- सैंया भए कोतवाल तो अब किस बात का डर।
अर्थ- अपने शासन में अपनीवाली करना। यानि जिसकी लाठी उसकी भैंस।

13.बाप ओझा अउरी माई डाइन।
अनुवाद- बाप ओझा (झाड़-फूँक करनेवाला) और माँ डाइन।
अर्थ- विरोधाभास। एक अच्छा तो दूसरा बुरा।

14.रोजो कुँआ खोदS अउरी रोजो पानी पीअS।
अनुवाद- रोज कुँआ खोदना और रोज पानी पीना।
अर्थ- भविष्य के बारे में न सोचना। यानि केवल जो आगे आए उसी पर विचार करनेवाला। अदूरदर्शी व्यक्ति के लिए।

15.आगे नाथ ना पीछे पगहा,खा मोटा के भइने गदहा।
अनुवाद- आगे नकेल ना पीछे पगहा(पशु को बाँधने की रस्सी), खा मोटाकर हुए गदहा।
अर्थ- स्वछंद व्यक्ति। जिसको रोकने-टोकनेवाला कोई न हो और इसलिए वह मनमौजी काम करता हो।

16.आसमाने में थूकबS त मुँहवे पर आई।
अनुवाद- आसमान में थूकेंगे तो अपने मुँह पर ही आएगा।
अर्थ- उलटा-पुलटा काम करके खुद फँसना।

17.इस्क अउरी मुस्क छिपवले से नाहीं छीपेला।
अनुवाद- इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपता।
अर्थ- प्रेम और कस्तूरी (एक प्रकार का गंधद्रव्य) प्रगट हो ही जाते हैं।

18.आदमी के काम हअए गलती कइल।
अनुवाद- आदमी का काम है गलती करना।
अर्थ- गलती (अनजाने में हुआ गलत काम) आदमी से ही होती है अस्तु क्षमा कर देना ही उचित होता है।

19.भगवान के माया कहीं धूप कहीं छाया।
अनुवाद- भगवान की माया कहीं धूप कहीं छाया।
अर्थ- दुनिया में जो कुछ भी घटित हो रहा है यानि अच्छा या बुरा,वह भगवान की ही कृपा से।
20.काठे के हाड़ी बार-बार नाहीं चढ़ेला।
अनुवाद- काठ की हाड़ी बार-बार नहीं चढ़ती।
अर्थ- किसी (समझदार) का दुरुपयोग एक ही बार किया जा सकता है, बार-बार नहीं।

21.काने के कच्चा।
अनुवाद- कान का कच्चा।
अर्थ- सहज विश्वासी। बिना सोचे-समझे विश्वास करनेवाला।

Bhojpuri Muhavare or unke arth

एके लाठी से सबके हाँकल – सबको एक ही जैसा समझना
ओझाई कइल – किसी समस्या के समाधान हेतु कोशिश
इमीली घोंटावल – कन्या विवाह के समय मामा द्वारा किया जाने वाला एक रस्म
एक हाथ के जीभ बढ़ावल – ज्यादे लालच करना
आन्हा थोपी खेलावल – परेशान करना, एक प्रकार का खेल भी

Bhojpuri Shayari Romantic Lover ke liye 

दरद दे के दरद बढावल ना जाला
दीप जलाके दीप बुझावल ना जाला
प्रेम केतनो बढ़ी पर बेगाना ना होई
दिल लगाके दिल हटावल ना जाला

मन होला मर जइतीं उनके चौकठ पर जा के
उनकर बदनामी के डर से आज ले जी रहल बानी
उजरल घर में अब केके ढूँढ़त बाड. तु
बरबाद भईला पर ओकर ठिकाना ना रहे

हमरे मन क कमरा जवन कहिये से खाली पड़ल बा
ओके तहार क़दम क आहट भी, शोर जइनस लागेला

उजाला आपन याद क हमरे साथ रहे द
न जाने कवने गली में जिनगी क शाम हो जाइ.

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Bhojpuri Dohe

अपने भाषा से उन्नति बाटे अपने भाषा से बाटे मोल |

एह के दिल से समझी एह में नईखे औरु कवनो झोल ||



अंग्रेजी के पढला से रउवा में आई बहुते गुन |

भोजपुरी के बिना रउवा मन में लाग जाई घुन ||



बहुते घुमनी बहुते सीखनी एकर न मिलल कवनो तोड़ |

ए भईया भोजपुरी के बोल के देखा ई भाषा बिया बेजोड़ ||



लोग बदलल , भाषा बदलल और बदलल देस |

तबहू न भरल हमनी के अन्दर कवनो द्वेष ||



प्यार , दुलार में हमनी के ना केहू पीछे छोड़ी |

अब ता केहू एह में ना कवनो दू अर्थी जोड़ी ||


जय भोजपुरी के लईका आ गईल बाडन सा झार के |
फेरु लौटी भोजपुरियन के ऊ असली दिन बहार के ||

गिट – पिट गिट -पिट कम बतियावा भोजपुरी के सीख |
चोन्हा ढेर करबा भोजपुरी से ता मांगे लगबा भीख ||

भोजपुरी भाषा में बोला भोजपुरी में लिहा उड़ान |
दुनिया में जोर से छेड़ा भोजपुरी के सुरीला तान ||

पकड़ी के फेडा के निचे बीतल तोहर असल जवानी |
अब तू काहे फेटत बाड़ा अपना मुर्झायिला मोछ पे पानी ||

भोजपुरी हा मिठ्की भाषा ई भाषा हवे बेजोड़ |
दुनिया में अब तक ना मिलल एकर कवनो जोड़ ||

ढीला शर्ट में टाईट जीन्स में दिहल जिनगी बिताय |
अबका होई भेभा बावला से काहे तू पछताय ||

डड़ौंकी Bhojpuri Kavita 

डड़ौंकी क्या है ?

डड़ौंकी एक भोजपुरी  कविता हे जो कवि- देवेन्द्र कुमार पाण्डेय दवारा लिखी गयी हे और ये कविता भोजपुरी भाषा में हे ये प्यारी सी कविता हे 

डड़ौंकी एक भोजपुरी कविता हे जो यहाँ पर  प्रस्तुत है  

उठल डड़ौकी चलल हौ बुढ़वा दिल में बड़ा मलाल बा ।
बड़कू कs बेटवा चिल्लायल, निन्हकू चच्चा भाग जा
गरजत हौ छोटकी कs माई, भयल सबेरा जाग जा
घर से निकलल घूमे-टहरे , चिंता धरल कपाल बा
उठल डड़ौंकी चलल हौ बुढ़वा दिल में बड़ा मलाल बा ।

घर में बिटिया सयान हौ, बेटवा बेरोजगार हौ
सुरसा सरिस बढ़ल मंहगाई, बेइमान सरकार हौ
काटत-काटत, कटल जिन्दगी, कटत न ई जंजाल बा ।

उठल डड़ौंकी चलल हौ बुढ़वा दिल में बड़ा मलाल बा
हमके लागत बा दहेज में बिक जाई सब आपन खेत
जिनगी फिसलत हौ मुट्ठी से जैसे गंगाजी कs रेत
मन ही मन ई सोंच रहल हौ, आयल समय अकाल बा ।

उठल डड़ौंकी चलल हौ बुढ़वा दिल में बड़ा मलाल बा।
कल कह देहलन बड़कू हमसे का देहला तू हमका
खाली आपन सुख की खातिर पैदा कइला तू हमका
सुनके भी ई माहुर बतिया काहे अटकल प्रान बा

उठल डड़ौंकी चलल हौ बुढ़वा दिल में बड़ा मलाल बा ।
ठक-ठक, ठक-ठक, हंसल डंड़ौकी, अब तs छोड़ा माया-जाल
राम ही साथी, पूत न नाती, रूक के सुन लs काल कs ताल
सिखा के उड़ना, देखाss चिरई, तोड़त माया जाल बा
उठल डड़ौंकी चलल हौ बुढ़वा दिल में बड़ा मलाल बा ।


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