Best Rajputi kahawat
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"राजपुतो ने अपना एक कौल रखा,
चाहते हैं सब ही राज की रक्खा ।।
हमारा तो मरने का ही इरादा,
इसी राह पर काम आये बाप-दादा ।।"
"तुरक सराह्यो तोर, तेग तणों थारो त्रिमल,
राज करो नागौर, दीन्हो मनसब राव को ।"
"कुण किसी को देत है, करम देत झकझोर।
उळझै-सुळझै आप ही, धजा पवन के जोर।।"
" राजा झुके, झुके मुग़ल मराठा, झुक गगन सारा।
सारे जहाँ के शीश झुके, पर झुका न कभी "सूरज" हमारा।।"
Rajasthani Muhavare
गुण बिन ठाकर ठीकरो ,गुण बिन मीत गंवार।
गुण बिन चंदन लाकड़ी ,गुण बिन नार कुनार।।
हय–रूण्ड गिरे¸ गज–मुण्ड गिरे¸ कट–कट अवनी पर शुण्ड गिरे। लड़ते–लड़ते अरि झुण्ड गिरे¸ भू पर हय विकल बितुण्ड गिरे।।
क्षण महाप्रलय की बिजली सी¸ तलवार हाथ की तड़प–तड़प। हय–गज–रथ–पैदल भगा भगा¸ लेती थी बैरी वीर हड़प।।
होती थी भीषण मार–काट¸ अतिशय रण से छाया था भय। था हार–जीत का पता नहीं¸ क्षण इधर विजय क्षण उधर विजय।।
चिंग्घाड़ भगा भय से हाथी¸ लेकर अंकुश पिलवान गिरा। झटका लग गया¸ फटी झालर¸ हौदा गिर गया¸ निशान गिरा।
क्षण पेट फट गया घोड़े का¸ हो गया पतन कर कोड़े का। भू पर सातंक सवार गिरा¸ क्षण पता न था हय–जोड़े का।।
कोई नत–मुख बेजान गिरा¸ करवट कोई उत्तान गिरा। रण–बीच अमित भीषणता से¸ लड़ते–लड़ते बलवान गिरा।।
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Rajputi Shlok
"अबकी चढ़ी कमान ,को जानै फिर कब चढे ।
जिनि चुक्केचौहान, इक्के मारे इक्क सर।।"
"अति सीतल म्रिदु वचन सूं, क्रोध अगन बुझ जाय।
ज्यों ऊफणतै दूध नै, पाणी देय समाय।।"
"रण खेती रजपूत री,कबहू न पीठ धरेह !
देश रुखाले आपणे, दुखिया पीड़ हरे !"
"मन पापी मन पारधी, मन चंचळ मन चोर।
मन कै मतै न चालियै, पलक-पलक मन और।।"
"जद-जद ही दुरजण मिलै, जद उपजै विखवाद।
उदैराज सज्जन प्रक्रित, ज्यां जाइ देइ स्वाद।"
"सब दिन होय न एक सा, समझ विचरहण बात।
वरतण ऐ हो वरतियै, आदि अंत निभ जात।।"
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Rajputi Dohe
"काढी खग्ग हाथ नीकी चोकी किनात बाढी,
सिस दाढी मियाँ गिरे गिरवान को ।।
नूरुद्दीन भाग्यो लार लाग्यो नहीं जान दीनू,
खबर लागी मार डारयो सारो कुल खांनको ।।"
"दारु पीवो रण चढो, राता राखो नैण ।
बैरी थारा जल मरे, सुख पावे ला सैण ॥"
"कनक कलश सम गर्विता
हेमाभ मस्तक न्यारा था
हस्त धारण कर रतन सा
बढ़ रही सविता धारा था
आन बान और शान लिए
रेत उत्पन्न उजियारा था
सहस्त्र सूर्य भी कमतर थें
राजपुतानी ने हुंकारा था.."
"जे कोई जणती राणियां, डूंग जिस्यो दीवाण ।
तो इण हिन्दुस्तान मे पलतो नही फिरंगाण ।।"
"व्रजदेशा चन्दन वना, मेरुपहाडा मोड़ !
गरुड़ खंगा लंका गढा, राजकुल राठौड़ !!"
"दिन दस दौलत पाय कर, गरयो कहा गंवार।
जोड़त लाग्या बरस सौ, जात न लागै वार।।"
" दारु मीठी दाख री, सूरां मीठी शिकार ।
सेजां मीठी कामिणी, तो रण मीठी तलवार ।।"
Rajputi Shayrian
"झिरमिर झिरमिर मेवा बरसे मोरां छतरी छाई जी ।
कलमें हो तो आव सुजाणा फौज देवरे आयी जी ।।"
" लाख जतन अर कोड बुध , कर देखो किण कोय !
अण होणी होवे नही , होणी हो सो होय !"
"संपत देख न हासियै, विपत देख मत रोय।
जिण दीहाड़े जिण घड़ी, होणी हुवै सो होय।।"
"ज्यां घट बहुळी बुध बसै,रीत नीत परिणाम।
घड़ भांजै, भांजै घडै, सकल सुधारै काम।।"
"अणमांगी सो दूध बरोबर ,मांगी मिले सो पाणी !
व भिच्छा है रगत बरोबर ,जी में टाणाटाणी !!"
"घणा सरल बणियै नहीं, देया जो वणराय।
सीधा सीधा काटतां, बांका तरू बच जाय।।"
Kshtriya Poems
"मूरख नै समझावतां, ग्यान गांठ रो जाय।
कोयलो हुवै न ऊजळो, सौ मण साबुण लाय।।"
"सौ राजन का राजा कैसा,
जेठ मास कि आफताब जैसा ।।
रण का पहाड़, दुश्मन कि भुजा उपाङ,
तेग का बहादुर ढुंढाहङ का किँवाङ ।।"
"गौङ बुलावे घाटवे चढ़ आओ शेखा ।
थारा लशकर मारणा देखण का अभलेखा ।।"
"उर नभ जितै न ऊगवै, ओ संतोस अदीत।
नर तिसना किसना निसा, मिटै इतै नह मीत।।"
"चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण !
ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान !!"
"तू शेखो तू रायमल तू ही रायासाल ।
जयसिंह का दल ऊजला थांसूं टोडरमल ।।
दोय उदयपुर ऊजला दो दातार आटल्ल ।
यक तो राणू जगतसी दूजो टोडरमल ।।"
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Rajsthani Bhasha ki Kahawat
"रहणो तेज अंगार ज्यूं, माल कह्यो रे मीत। सीधै ऊपर दो चढै, आ दुनिया री रीत।"
"साच न बूढो होय, साच अमर संसार में। केतो ढाबे कोय, ओ सेवट प्रगटै उदै।।"
"सत्त न छोड़े मित्त तूं, रिद्धि चौगुणी होय। सुख दुख रेखा कर्म की, टार सकै ना कोय।।"
राजस्थानी दोहे
"धीरा धीरा ठाकरां ,गुमर कियां म जाह !
मुहंगा देसी झोंपड़ा , जे घर होसी नाह !!"
"वीर पियो पय मात को ,दियो अधर रस बाम
अब शोणित अरियन पियत ,तोही पीवन को काम "
"जिण बन भूल न जावता ,गयंद गवय गिड़राज !
तिण बन जम्बुक ताखडा ,उधम्म मंडे आज !!
"
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Rajputi Kavita and Kahawat in hindi
" तलवार हाथों से संभालती नहीं
सो,जीभ को तलवार बना लेते हैं
बंदूकें बन गयी हैं महफ़िलों की शोभा
गालियां देकर ही अपना काम चला लेते हैं ।"
" अब कहाँ हैं युद्ध के मैदान व
दुश्मनों की फौजें सो,
अपने भाई बंधुओं से ही जोर आजमा लेते हैं।"
" दिल तो करता है कि सिंह गर्जन करूँ
सीना तानकर लेकिन मिलावट के इस दौर में फेफड़ों में वो दम नहीं ।"
"फैशन की दुनियां में , बस स्टाइल
ही काफी है
शराब सिगरेट गाड़ी जरुरी है दूध
दही बॉडी नहीं।"
"खुद को 'सिंह' कहकर अपनी पीठ
थपथपा लेते हैं
'सिंह' सी शान चेहरे पर दमके,ख्यालातों में
वो गर्मी नहीं । "
"बड़े ऊँचे आदर्श हैं कि 'राजपूत'
अकेला ही काफी है ,
हर तरफ से मारे जा रहे हैं मगर 'संगठित'
होना मंजूर नहीं ।।"
Rajputi Shayari Rajasthani in hindi
"कुत्ते समझ रहे हैं कि, शेर तो हो चुका है ढ़ेर
उन्हें कौन समझाए कि, ये तो समय का है फेर।"
" साज़िश और षड्यंत्र के बल पर, हुआ यह सब
वरना आज तक कोई, शेर को मार सका है कब।"
"विरोधियों ने बैठक बुलाई, नई-नई योजना बनाई
सिंह को वश में करने के लिए, चक्रव्यूह रचना सुझाई।"
"चौकन्ना एक चीता, हालात जो सब समझ चुका था
ऐसे ही एक जाल में, बहुत पहले खुद फंस चुका था। "
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Nice
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